कभी-कभी
तस्वीरें यादें बन जाती हैं
तो कभी
यादें ही तस्वीर बन जाती हैं
कभी-कभी
पराये अपने बन जाते हैं
तो कभी
अपने ही पराये हो जाते हैं
कभी-कभी
हम मुस्कुराकर पहचान बनाते हैं
तो कभी
मुस्कुराहट पर हँसते रह जाते हैं
कभी-कभी
बोलकर भी हकला जाते हैं
तो कभी
मौन होकर भी नहीं ठहर पाते हैं
कभी-कभी
हथेली भी मौजूदगी बता जाती है
तो कभी
गुस्से की थाप हथेली दुखाती है
कैसी अजीब रंग-बिरंगी दुनिया है ये
जो कभी किसी के शोक से
किसी की ज़िंदगी में रंग भर देती है
तो कभी अपनी ही खुशियों के आगे
इंद्रधनुष को भी बेरंग कर जाती है।
वो पल बदलता सदा
जो दिखता हैं आज यहां
कहते घड़ी दीखे आज हमे
पल पल का अहसास कराए यहा।।
कोन माने बाते उसकी
समय बदलता सबका यहा
आए अकेले जाना अकेले धरा
फिर भी रोना साथ का रोए सदा।।
ऐ दोस्त हमारे अनजान ओ साथी
नही निराश होना कभी
कलम सा साथी कोई नही
उसे अपना सच्चा दोस्त मानना कभी।।
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Wah👌👌👏👏
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शुक्रिया मेरा हौंसला बढ़ाने के लिए🙏🙏
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Good😀🤗
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Thank you
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