सुन्दर-सुन्दर वादियों में बैठे हो तुम
जब पुकारो तुरन्त ही हाथ थामे
साथ देने चले आते हो तुम
मूरत तुम्हारी पर्वतों में सजी है
लेकिन हमने दिल में उतार
कागज़ों में सिमेट ली है
कपि की भाँति मुख सजा है
दिल चीरकर सियाराम को दिखाया है
हस्त भुजाओं में गदाधारी ने धारण कर
अपने बल से संसार को बचाया है
नाम जपते-जपते बड़ा ही सुकून मिला है
हे श्री राम जी!तुम्हें प्रणाम
तुमने हनुमन्ते नामक भक्त पाया है
मैं गई जब बालाजी महाराज
तो मेरी रूह डरी तो थी
लेकिन बड़ा सहारा मिला
जब अपनों की उँगली थाम
बढ़े ही जा रही थी
जिस-जिस ओर अब देखती
तुम्हारी झलकी पाकर
सुकून से सो जाती
सब शिकायत पता नहीं क्यूँ करते हैं
हर वक़्त तू सोती मिलती है
पर मुझे तो आँखें बंद हो या खुली
तुम्हारे ही दर्शन मिलते हैं
साक्षात प्रकट हो जाओ हे ईश्वर!
ताकि सबको दिखा दूँ
कितनी माया है तुममें
कितनी सच्ची है ये भक्ति की शक्ति
ऐ काल! दर्शन की अभिलाषा है
मैंने अबसे आपको ही हर क्षण
दृढ़ भक्ति से चाहना आरम्भ कर दिया है।।
Great yar
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Thank you
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Wah ❤️
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Nice
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Good one
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Thanks
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